हमने दुनिया की तरफ देखा नहीं
तुमको चाहा और कुछ सोचा नहीं
दिल कि जैसे पाक मरियम की दुआ
उसके चेहरे पर कोई चहरा नहीं
ख्वाव तो कब के तुम्हारे हो चुके है
एक दिल था वो भी अब मेरा नहीं
तुमने आखिर सुबह से क्या कह दिया
आज सूरज शर्म से निकला नहीं
- श्री आलोक श्रीवास्तव (Alok Shrivastv)